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*दिनाँक 21 जून को लगने वाले सूर्यग्रहण का हमारे...

*दिनाँक 21
2020-06-21T01:43:36
Shiv Shakti Jyotish
*दिनाँक 21 जून को लगने वाले सूर्यग्रहण का हमारे...

*दिनाँक 21 जून को लगने वाले सूर्यग्रहण का हमारे जीवन एवं विश्व पर पड़ने वाला प्रभाव-* दिनांक 21 जून 2020, दिन रविवार आषाढ़ कृष्ण अमावस्या को सूर्यग्रहण इंडिया में खंडग्रास के रूप में ही दृश्य होगा। यह ग्रहण गंड योग और मृगशिरा नक्षत्र में होगा। भारत में सूर्यग्रहण का आरम्भ प्रातः 10 बजकर 13 मिनट से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। भारत के अतिरिक्त यह खंडग्रास सूर्यग्रहण विदेश के कुछ क्षेत्रों में भी दिखाई देगा। *भारत वर्ष में ग्रहण का स्पर्श 10.13 मिनट प्रातः, ग्रहण का मध्य 11.56 एवं ग्रहण का मोक्ष दोपहर 1 बजकर 31 मिनट में होगा।* ग्रहण का सूतक सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लग जाता है। *इस सूर्यग्रहण का सूतक 20 जून को रात्रि 10 बजकर 14 मिनट से आरम्भ हो जाएगा, * जो कि सूर्यग्रहण ग्रहण के समाप्त होने तक रहेगा। *ग्रहण का देश एवं विश्व के ऊपर प्रभाव-* *ग्रहण के समय 6 ग्रहों का वक्री होना इस बात का संकेत दे रहा है कि प्राकृतिक आपदाओं यथा समुद्री चक्रवात, तूफान, अत्यधिक वर्षा, महामारी आदि से जन-धन की हानि हो सकती है। वर्ष 2020 में मंगल अग्नि तत्व का प्रतीक है और यह जलीय राशि में 5 मास तक रहेंगे इस कारण सामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा और विषाणु जनित महामारी के साथ भूकम्प अतिवर्षा एवं अग्निकांड का भय बराबर बना रहेगा ।सम्पूर्णविश्व में असामयिक काल ग्रसित होने वालों की संख्या में जबरजस्त इजाफा देखने को मिलेगा।* *ग्रहण काल में शनि और गुरु का मकर राशि में वक्री होने से पडोसी देशों में राजनितिक उठापठक से भारत को चिंता बनी रहेगी। शनि मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से देशों में आर्थिक मंदी का असर बना रहेगा बना रहेगा। चीन की सामरिक गतिविधिया जल, थल और आकाश में बढ़ने से पडोसी देशो के मध्य चिंता का कारण बनेगा।* *सूर्य ग्रहण के बाद क्या करें ?* सूर्यग्रहण के समाप्त होने के बाद किसी पवित्र नदी यथा गंगा, नर्मदा, रावी, यमुना, सरस्वती, पुनपुन इत्यादि में स्नान करें। यह संभव न हो तो तालाब, कुएं या बावड़ी में स्नान करें। यदि यह भी संभव न हो तो घर पर रखे हुए तीर्थ जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। ग्रहण के समय हमें शुभ कार्य करना चाहिए। यह शुभ कार्य कल्याण प्रदान करने वाला होता है। *ग्रहण के सूतक तथा ग्रहण काल में व्यक्ति को अपनी इच्छापूर्ति के लिए स्नान, ध्यान, मन्त्र, स्तोत्र-पाठ, मंत्रसिद्धि, तीर्थस्नान, हवन-कीर्तन, दान इत्यादि कार्य करना चाहिए। ऐसा करने से सभी प्रकार के बाधाओं से निवृत्ति एवं सुख की प्राप्ति होती है।* *कैसा रहेगा सूर्यग्रहण का सभी राशियों पर प्रभाव?* मेष : राजकीय सम्मान पाने की प्रबल संभावना है। वृषभ : आर्थिक परेशानी और व्यापार में नुक्सान हो सकता है संभाल कर रहें। मिथुन : किसी अप्रिय घटना-दुर्घटना के शिकार हो सकते है सावधानी रखें सब ठीक होगा। कर्क : शरीर में कहीं चोट लग सकती है । सिंह : दाम्पत्य का सुख मिलेगा परन्तु वाणी में मधुरता बनाएं रखें। कन्या : आपके लिए शुभ रहेगा। बंधु-बांधव का सहयोग मिलेगा। तुला : वाद-विवाद से बचें। क्रोध के कारण नुक्सान हो सकता है। वृश्चिक : आप अचानक किसी परेशानी में फंस सकते हैं । धनु : दाम्पत्य जीवन खटास आ सकती है। पत्नी वा पत्नी को कोई गिफ्ट दें। मकर : आपके लिए यह ग्रां शुभ फल देने वाला होगा। कुंभ : तनाव व मानसिक परेशानी हो सकती है। मीन : अनियोजित खर्च से आप परेशान हो सकते हैं । *सूर्यग्रहण के बाद क्या-क्या दान करें ?* ग्रहण समाप्ति होने के बाद स्वर्ण, कंबल, तेल, कपास या मच्छरदानी का दान करना चाहिए। सूतक एवं ग्रहणकाल में क्या नहीं करें ? धार्मिक आस्थावान प्रवृत्ति के लोगो को अपने कल्याण के लिए सूतक एवं ग्रहणकाल में ऐसे किंचित कार्य है जिसे नहीं करना चाहिए। ग्रहण शुभ एवं अशुभ दोनों फल प्रदान करता है। अतः अब आपके ऊपर निर्भर करता है कि आपने किस फल के अनुरूप कार्य किया है। ग्रहण काल का अशुद्ध हो जाता ही इस कारण ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए ऐसा करने से आप अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित हो सकते है। ग्रहण या सूतक से पहले ही यदि सभी खाने वाले पदार्थ यथा दूध दही चटनी आचार आदि में कुश रख देते है तो यह भोजन दूषित नहीं होता है और आप पुनः इसको उपयोग में ला सकते है। सूतक एवं ग्रहण काल में छल-कपट, झूठ, डिंग हाँकना आदि से परहेज करना चाहिए। ग्रहण काल में मन तथा बुद्धि पर पड़ने वाले कुप्रभाव से बचने के लिए जप, ध्यानादि करना चाहिए है। व्यक्ति को मूर्ति स्पर्श, नाख़ून काटना, बाल काटना अथवा कटवाना, निद्रा मैथुन आदि कार्य बिल्कुल ही नहीं करना चाहिए। इस काल में रति क्रिया से बचना चाहिए। ग्रहण काल में शरीर, मन तथा बुद्धि के मध्य तालमेल बनाये रखना चाहिए। मन-माने आचरण करने से मानसिक तथा बौद्धिक विकार के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य का भी क्षय होता है। अतएव हमें अवशय ही ग्रहणकाल में मन, वचन तथा कर्म से सावधान रहना चाहिए। इस समय बच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिला, एवं रोगी को यथानुकूल खाना अथवा दवा लेने में कोई दोष नहीं लगता है।

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