

*क्या करें, क्या न करें -* 1. किसी निर्जन एकांत या जंगल आदि में मलमूत्र त्याग करने से पूर्व उस स्थान को भलीभांति देख लेना चाहिए कि वहां कोई ऐसा वृक्ष तो नहीं है जिस पर प्रेत आदि निवास करते हैं अथवा उस स्थान पर कोई मजार या कब्रिस्तान तो नहीं है। 2. किसी नदी तालाब कुआं या जलीय स्थान में थूकना या मल-मूत्र त्याग करना किसी अपराध से कम नहीं है क्योंकि जल ही जीवन है। जल को प्रदूषित करने स जल के देवता वरुण रूष्ट हो सकते हैं। 3. घर के आसपास पीपल का वृक्ष नहीं होना चाहिए क्योंकि पीपल पर प्रेतों का वास होता है। 4. सूर्य की ओर मुख करके मल-मूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए| 5. गूलर मौलसरी, शीशम, मेहंदी आदि के वृक्षों पर भी प्रेतों का वास होता है। रात के अंधेरे में इन वृक्षों के नीचे नहीं जाना चाहिए और न ही खुशबुदार पौधों के पास जाना चाहिए। 6. सेब एकमात्र ऐसा फल है जिस पर प्रेतक्रिया आसानी से की जा सकती है। इसलिए किसी अनजाने का दिया सेब नहीं खाना चाहिए। 7. कहीं भी झरना, तालाब, नदी अथवा तीर्थों में पूर्णतया निर्वस्त्र होकर या नग्न होकर नहीं नहाना चाहिए। 8. अगर प्रेतबाधा की आशंका हो तो.घर में प्राणप्रतिष्ठा की बजरंगबलि हनुमान की सुसज्जित प्रतिमा और हनुमान चालीसा रखनी चाहिए। 9. प्रतिदिन प्रातःकाल घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। 10. प्रत्येक पूर्णमासी को घर में सत्यनारायण की कथा करवाएं। 11. सूर्यदेव को प्रतिदिन जल का अघ्र्य देना प्रेतवाधा से मुक्ति देता है। 12. घर में ऊंट की सूखी लीद की धूनी देकर भी प्रेत बाधा दूर हो जाती है। 13. घर में गुग्गल धूप की धूनी देने से प्रेतबाधा नहीं होती है। 14. नीम के सूखे पत्तों का धुआं संध्या के समय घर में देना उत्तम होता है।
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